जब Tawang में भारतीय फौज ने बरसाने शुरू किए डंडे,उल्टे पांव भाग खड़े हुए चीनी सैनिक
नई दिल्ली। अपनी ‘इकोनॉमी’ के दम पर इतराने और विस्तारवादी सोच वाला चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सीमा पर ड्रैगन लगातार अपने पैर फैलाने की कोशिश में है, लेकिन उसे हर बार भारत से टक्कर मिलती है। एक बार फिर चीन को भारत के हाथों फिर मुंह की खानी पड़ी है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में चीन के सैनिकों ने फिर से भारतीय सरजमीं पर कदम रखने की कोशिश की,लेकिन उसकी चाल फिर से उसी पर भारी पड़ गई। चीन के सैनिक भारतीय पोस्ट पर कब्जा करने आए थे, लेकिन इंडियन आर्मी के जवानों ने उनकी जमकर कुटाई कर दी। भारतीय जवानों ने इतना पीटा कि चीनी सैनिकों के हाथ पैर फूल गए।
कड़ाके की ठंड में भारतीय जवानों ने चीनियों पर इतने लठ बरसाए कि ड्रैगन के पसीने छूट गए। LAC से भारतीय और चीनी सैनिकों के झड़प का वीडियो सामने आया है, जिसमें भारतीय जवानों को चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए देखा जा सकता है। हालांकि रिपब्लिक भारत इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
वीडियो में देख सकते हैं कि पहले भारतीय जवानों ने चीनियों पर धोबी पछाड़ लगाया और उसके बाद दुश्मन को एक चेन में बांधकर सभी सैनिकों ने एक साथ लठ बरसाना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था कि इस बार भारतीय वीर ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बनाकर ही आए थे। साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चीनी सैनिक भारत की सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। वे कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन से लैस थे।
चीन अंधेरा और जंगल का फायदा उठाकर भारत के एक पोस्ट को कब्जे में करना चाहता था। लेकिन इस बार उसकी पूरी प्लानिंग धराशाई हो गई। चीनी सैनिकों पर भारतीय जवानों ने जोरदार हमला बोला। भारतीय जवानों ने चीन के सैनिकों को खूब पीटा। करीब आधे घंटे तक जवानों ने करारा जवाब दिया। बताया जा रहा है कि हमले में कई चीनी सैनिकों की हड्डियां टूट गई। यहां तक कि झड़प में चीन के 30 से ज्यादा सैनिक घायल हो गए।
बताया जा रहा है कि जिस पीएलए के सैनिक भारतीय सेना की तीन टुकड़ियों के साथ भिड़े थे, जो विभिन्न पैदल सेना रेजिमेंटों से संबंधित थीं। भारतीय सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के उनके प्रयास को विफल कर दिया था। जमीन पर मौजूद सूत्रों ने एएनआई को बताया कि जम्मू और कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फैंट्री सहित तीन अलग-अलग बटालियनों से संबंधित सैनिक झड़प के स्थान पर मौजूद थे, जब चीनियों ने क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की थी।
सूत्रों ने कहा कि झड़प के लिए चीनी सैनिक क्लब, लाठियों और अन्य उपकरणों से लैस थे। भारतीय सैनिक भी संघर्ष के लिए तैयार थे, क्योंकि वे विरोधी के इरादों को जानते थे। भारतीय सेना की एक यूनिट वहां से निकल रही थी और एक नई यूनिट से रिलीव हो रही थी। हालांकि, चीनियों ने उस दिन संघर्ष करना चुना जब दोनों इकाइयां क्षेत्र में मौजूद थीं।
उल्लेखनीय है कि चीन अपने पड़ोसी देशों की जमीन पर नजर रखता है। अपनी विस्तारवादी नीति के चलते वो अक्सर ऐसी हरकतें करते आया है। एलएसी पर उसका यही रवैया है, लेकिन हमेशा की तरह उसे कामयाबी इस बार भी नहीं मिली। 2006 से लगातार चीन ऐसी घुसपैठ की कोशिश कर रहा है, लेकिन जब भी चीन ने इस तरह की हिमाकत की उसको मुंह की ही खानी पड़ी। गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है। तवांग सेक्टर में हुई भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प भी इसी आक्रामक रुख का नतीजा है।