बरेली में रेलवे स्टेशन पर बनी 500 साल पुरानी मजार हटाने को लेकर शुरू हआ विवाद
बरेली। हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने को लेकर सियासी संग्राम मचा हुआ है। वहीं अब बरेली के इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर बनी 500 साल पुरानी मजार को हटाने को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। मुस्लिम संगठनों ने मजार को लेकर बरेली जनपद न्यायालय में याचिका दायर की है। जिसकी सुनवाई पांच जनवरी को कोर्ट में होनी थी।
कोर्ट ने पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों को समन भेजा था और पांच जनवरी को सभी दस्तावेजों के साथ हाजिर होने के निर्देश दिए थे,लेकिन रेलवे की तरफ से कोई कोर्ट नहीं पहुंचा। अब सुनवाई की अगली तारीख 29 जनवरी तय की गई है। वहीं एहतियातन रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में आरपीएफ, जीआरपी और पीएसी को लगाया गया है।
प्लेटफार्म नंबर एक पर है मजार
पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक इज्जतनगर रेलवे स्टेशन है। यहां के प्लेटफार्म नंबर एक पर 500 वर्ष पुरानी सैयद नन्हे शाह की मजार है। जिसे रेलवे प्रशासन ने हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। 28 दिसंबर को रेलवे मजार को हटाता उससे पहले दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बरेली जनपद न्यायालय में याचिका दायर कर दी। जिसकी पहली तारीख 2 जनवरी लगी और उसके बाद 5 जनवरी। अब सुनवाई की अगली तारीख 29 जनवरी है। जिसमें रेलवे को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है। यानी ये साफ हो गया है कि 29 जनवरी तक मजार सुरक्षित है। उसे हटाया नहीं जा सकता।
1564 में बनी थी सैयद नन्हे शाह की मजार
बताया जाता है कि सैयद नन्हे शाह की मजार सन 1564 में बनी थी। तब यहां पर रेलवे स्टेशन नही था। अब रेलवे प्रशासन ने मुगलों के समय में बनी मजार को हटाने के लिए कमर कस ली है. वहीं मुस्लिम समुदाय में मजार हटाने को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि जब मजार को हटाना ही था तो उसका सौंदर्यीकरण क्यों किया गया। दरअसल ये मजार पहले रेलवे ट्रैक के बीच में थी। जिसके बाद रेलवे ने इस स्टेशन का कायाकल्प किया और एयरपोर्ट की तर्ज पर इस स्टेशन को बनाया गया। तब इस मजार का भी सौंद्रीयकरण किया गया था।