जर्मनी के बाद ब्रिटेन और यूरोजोन के सामने संकट,पूरे यूरोप पर छा चुके हैं मंदी के बादल
नई दिल्ली। वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाएं सच साबित होने लग गई हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को लेकर मंदी की आशंका भले ही कम हो गई हों,लेकिन इससे खतरा टल नहीं जाता है। कम से कम यूरोप के लिए तो मंदी भयावह साबित होने वाली है। ताजा हालात इस बात के साफ संकेत दे रहे हैं।
जर्मनी बन चुका है शिकार
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी आधिकारिक तौर पर मंदी की चपेट में आ चुका है। अब उसके बाद यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन के मंदी में गिरने का खतरा सिर पर है। इतना ही नहीं बल्कि यूरोजोन भी मंदी की चपेट में आ सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह वैश्विक मंदी यूरोप की अर्थव्यवस्था के लिए तबाही लाने वाला साबित हो सकती है।
इसे कहते हैं आर्थिक मंदी
आर्थिक मंदी ऐसी स्थिति को कहते हैं,जब ग्रोथ रेट गिर जाती है,एक के बाद एक कंपनियां बंद होने लगती हैं और बेरोजगारी व महंगाई से जनता तबाह हो जाती है। आधिकारिक परिभाषा के अनुसार अगर किसी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर लगातार दो तिमाही में शून्य से नीचे रहती है,तो माना जाता है कि वह अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है। आर्थिक वृद्धि दर के शून्य से नीचे आने यानी नकारात्मक हो जाने का मतलब है कि उस अर्थव्यवस्था का साइज कम हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाही निगेटिव ग्रोथ का गवाह बन चुकी है।
ब्याज दर में बढ़ोतरी पर लगी रोक
यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी और दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन की बात करें तो छंटनी की रफ्तार महामारी के समय के बाद सबसे ज्यादा है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार,ब्रिटेन में कंपनियां अभी महामारी के बाद सबसे तेज रफ्तार से अपने कर्मचारियों को बाहर निकाल रही हैं। वित्तीय संकट गहराया हुआ है। यही कारण है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने इस सप्ताह हुई नीतिगत बैठक में ब्याज दर वृद्धि को करीब 2 साल में पहली बार रोकने का फैसला लिया।
इतना खराब है ब्रिटेन का हाल
ब्रिटेन के लिए एसएंडपी ग्लोबल का कंपोजिट पीएमआई सितंबर महीने में कम होकर 46.8 पर आ गया। एक महीने पहले यह सूचकांक 48.6 पर रहा था। यह जनवरी 2021 के बाद ब्रिटेन के कंपोजिट पीएमआई की सबसे बड़ी गिरावट है। जनवरी 2021 का समय महामारी के चलते लॉकडाउन वाला था। एसएंडपी ग्लोबल का कहना है कि अगर महामारी के समय को अपवाद मान लिया जाए तो अभी ब्रिटेन के जॉब मार्केट में छंटनी की रफ्तार अक्टूबर 20069 के बाद सबसे तेज है। ये आंकड़े इस बात का इशारा करते हैं कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और आने वाले महीनों में यह मंदी की चपेट में गिर सकती है।
अभी यहां पर यूरोजोन का पीएमआई
वहीं रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में यूरोजोन के लिए खतरे की गंभीर घंटी बजाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार,यूरोजोन की इकोनॉमी इस तिमाही में निगेटिव का ग्रोथ शिकार बन सकती है और उसके बाद पॉजिटिव टेरीटेरी में लंबे समय तक लौटने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। एसएंडपी ग्लोबल का यूरोजोन का कंपोजिट पीएमआई अगस्त में 33 महीने के निचले स्तर 46.7 पर था। सितंबर में यह कुछ सुधरकर 47.1 पर तो पहुंचा,लेकिन अभी भी यह 50 से नीचे है। 50 से कम पीएमआई कांट्रैक्शन दिखाता है।
सितंबर तिमाही में गिरावट की आशंका
दूसरी ओर हैम्बर्ग कमर्शियल बैंक ने एक ताजी रिपोर्ट में कहा है कि यूरोजोन की अर्थव्यवस्था के साइज में 2023 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के दौरान 0.4 फीसदी की गिरावट आ सकती है। दरअसल ईसीबी ने महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में पिछले कुछ महीनों के दौरान 4.5 फीसदी की वृद्धि की है। महंगे हुए ब्याज ने अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। यूरोजोन की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फ्रांस के मजबूत सर्विस सेक्टर में लगातार गिरावट आ रही है। इस तरह यूरोजोन के ऊपर मंदी का खतरा अभी सबसे ज्यादा बढ़ा हुआ है।