जीवन में सबसे खुश कौन?
सच्चा सुख पद, पैसा या प्रसिद्धि में नहीं, संतोष में है
— डा राज कुमार सिंह
संसार में हर व्यक्ति खुश रहना चाहता है, परंतु यह प्रश्न अक्सर मन में उठता है कि वास्तव में सबसे अधिक खुश कौन है? आधुनिक जीवनशैली, तेज़ रफ्तार की दौड़ और भौतिक लालसाओं के बीच इस प्रश्न का उत्तर खोजना एक आध्यात्मिक यात्रा बन गई है।
आज सुख को अकसर धन, भोग, नाम या पद से जोड़ा जाता है, लेकिन मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक विचारकों की दृष्टि में यह भ्रम है। इतिहास गवाह है कि जिनके पास सब कुछ था, वे भी भीतर से अधूरे रहे हैं, जबकि साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति भी संतोष और प्रसन्नता का अनुपम उदाहरण रहे हैं।
सच्चे सुख की कुंजी है — संतोष, सेवा, और सरलता।
जो व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में प्रसन्नता ढूंढ लेता है, जो तुलना और प्रतिस्पर्धा से दूर रहता है, वही वास्तव में सुकून से जीता है। बच्चे इस सुख के सहज उदाहरण हैं — उनके पास न अपेक्षाएं होती हैं, न चिन्ताएं, फिर भी उनका हर दिन उत्सव जैसा लगता है।
वहीं जो सेवा करता है, दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाता है, वह आत्मिक सुख का अनुभव करता है। ध्यान, योग और आत्मचिंतन भी आंतरिक शांति का मार्ग बन सकते हैं।
सबसे खुश वही व्यक्ति होता है जो अपने भीतर झाँकता है, कम में भी संतुष्ट रहता है और हर हाल में ईश्वर का धन्यवाद करना जानता है। सुख, कोई वस्तु नहीं — एक दृष्टिकोण है, एक अवस्था है, जो मन से उत्पन्न होती है।
(लेखक जनवार्ता हिन्दी दैनिक वाराणसी के संपादक हैं)