सिर पर गृहस्थी का बोझ लिये नंगे पाँव हजारों महिलाएँ निकलीं 75 तीर्थों की यात्रा पर
वाराणसी (जनवार्ता) । पापों के नाश और मोक्ष की कामना के साथ काशी की विश्वप्रसिद्ध अंतर्यामी (अंतरगृही) परिक्रमा शुक्रवार तड़के शुरू हो गई। सिर पर बोरों-गठरियों में पूरी गृहस्थी का सामान लादे, कंधे पर झोला टांगे और नंगे पाँव हजारों श्रद्धालु, खासकर महिलाएँ, 75 तीर्थों की इस कठिन परिक्रमा पर निकल पड़े।

परंपरा के अनुसार सबसे पहले मणिकर्णिका घाट पर गंगा-स्नान कर संकल्प लिया गया, फिर मणिकर्णिकेश्वर महादेव के दर्शन के बाद यात्रा विधिवत शुरू हुई। मार्ग में सिद्धि विनायक, अश्वतरेश्वर, वासुकीश्वर, संकटमोचन, दुर्गाकुंड, शैलपुत्री, आदिकेशव सहित 75 तीर्थों के दर्शन होते हुए यात्रा पुनः मणिकर्णिका घाट पर समाप्त होगी।
शहरीकरण के बावजूद परंपरा का निर्वाह देखते ही बनता है। कई महिलाएँ अब पहले से पकाया खाना साथ ले जा रही हैं, फिर भी कुछ समूहों ने गोहरी और अन्य खुले स्थानों पर चूल्हा जलाकर भोजन बनाया। चौकाघाट-अंधरापुलिया के बीच बने रैन बसेरों में शाम तक विश्राम करने वालों की भीड़ बढ़ती गई। अत्यधिक भीड़ के कारण इस मार्ग पर शाम को लंबा जाम लग गया।
पूर्वांचल के साथ-साथ बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से भी हजारों यात्री काशी पहुँचे हैं। परिक्रमा के दौरान यातायात पुलिस ने वैकल्पिक मार्गों का सहारा लिया ताकि शहर की दिनचर्या प्रभावित न हो।
यह परिक्रमा मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को शुरू होकर पंचमी को पूरी होती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि नंगे पाँव पूरी गृहस्थी सिर पर रखकर यह यात्रा करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

