काशी तमिल संगमम के बाद अब तेलुगु संगमम, आज पीएम मोदी करेंगे संबोधित
वाराणसी | काशी तमिल संगमम के बाद प्रधानमंत्री शनिवार को काशी तेलुगु संगमम के तीर्थयात्रियों को वर्चुअल संबोधित करेंगे। मानसरोवर घाट पर शाम छह बजे से रात्रि नौ बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। प्रधानमंत्री शाम सात बजे वर्चुअल माध्यम से काशी आए सभी तीर्थयात्रियों का स्वागत करेंगे।
यह जानकारी शुक्रवार को राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा ने कांची कामकोटि मठ में दी। पत्रकारों से बातचीत में सांसद ने बताया कि पीएम के संबोधन का तेलुगु में अनुवाद किया जाएगा। पीएम के संबोधन से पूर्व विद्वान आचार्य चारों वेदों का पाठ, रुद्री, स्तोत्र का पाठ करेंगे।
गंगा पुष्कर पर प्रवचन सामवेद के विद्वान षडमुख शर्मा करेंगे। 11 वेदपाठी प्रधानमंत्री के लिए आशीर्वचन करेंगे। कार्यक्रम में तीर्थयात्रियों की मदद करने वाले हर वर्ग के लोगों काे सम्मानित भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस आयोजन को काशी तेलुगु संगमम का नाम दिया गया है।
गंगा पुष्कर कुंभ महोत्सव ने मजबूत किया रिश्ता
सांसद ने कहा कि गंगा पुष्कर कुंभ महोत्सव के जरिये काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना साकार हो रही है। 12 दिवसीय गंगा पुष्कर कुंभ महोत्सव ने काशी और तेलुगु समाज के बीच के रिश्तों को और मजबूत किया है। मानसरोवर घाट पर संबोधन सुनने के लिए मंच बनाकर विशाल एलईडी स्क्रीन लगाई गई है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए काशीवासियों को भी आमंत्रित किया गया है।
साढ़े छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया तर्पण
सांसद ने बताया कि गंगा पुष्कर कुंभ में बीते सात दिनों में 6.5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा के तट पर तर्पण किया है। 12 दिनों का आयोजन तेलुगु समाज के लिए बेहद खास है। 12 वर्षों के बाद काशी आए तेलुगु समाज के लोग बदले हुए बनारस को देखकर आह्लादित हैं। सभी ने बनारस में हुए विकास के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी दिया है। मैंने भी आज गंगा के तट पर समाज के लोगों के साथ अपने पुरखों का तर्पण किया है।
गंगा स्नान के साथ ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो रहा आयोजन
गंगा पुष्कर कुंभ में ब्रह्म मुहूर्त से ही अनुष्ठान आरंभ हो रहे हैं। पिंडदान, पूजन, आरती और प्रवचन के बाद श्रद्धालु काशी के मंदिरों की परिक्रमा कर रहे हैं। गंगा के तट पर रोजाना 90 हजार से सवा लाख दक्षिण भारतीय श्रद्धालु अपने पुरखों का तर्पण कर रहे हैं। हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और चेन्नई के विद्वानों का समूह सुबह से लेकर देर शाम तक श्राद्ध की प्रक्रिया को पूरा करने में लगा है।