हर एक वोट जरूरी होता है…सियासी दलों के लिए क्यों जरूरी हुआ ‘नारी शक्ति वंदन

हर एक वोट जरूरी होता है…सियासी दलों के लिए क्यों जरूरी हुआ ‘नारी शक्ति वंदन
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नई दिल्ली। देश में 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। सात चरणों में वोटिंग के बाद 4 जून को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। इस बीच सत्ता और विपक्ष की पार्टियों ने अपने वादे,घोषणाएं,योजनाओं और नीतियों में महिलाओं को जमकर तरजीह दी है। चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों के लिए ‘नारी शक्ति वंदन’ बेहद अहम हो गया है।

दिल्ली में भाजपा और आप-कांग्रेस में कड़ी टक्कर
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर महिलाओं के एकमुश्त वोटों को हासिल करने के लिए भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने रस्साकशी पहले से ही जारी है। हालांकि, केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने आप-कांग्रेस गठबंधन बनाकर दिल्ली की सीटों पर मैदान में उतरी है। दिल्ली के चुनावी दंगल में जीत के लिए इस बार महिला वोट बैंक पर राजनीतिक दलों का फोकस बढ़ा है। क्योंकि दिल्ली में कागजों पर भले महिलाओं की भागीदारी कम हो, लेकिन कुछ लोकसभा सीटों पर वोटिंग में पुरुषों से आगे है।

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की वोटिंग ज्यादा
2011 में हुई जनगणना के मुताबिक राजधानी दिल्ली में प्रति एक हजार पुरुष पर 843 महिला मतदाता हैं। खास बात यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा संख्या में मतदान करने के लिए आगे बढ़ रही हैं। दिल्ली में कुल 1।47 करोड़ से अधिक मतदाताओं में पुरुषों की संख्या 79।86 लाख और महिलाएं 67।30 लाख से ज्यादा हैं। यानी राजधानी में कुल मतदाताओं में महिलाएं 46 प्रतिशत से थोड़ी ही कम हैं। इसके अलावा महिलाएं अपने घरों और पड़ोस में भी वोटों को प्रभावित करने की ताकत रखती हैं। इन वजहों से भी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को अपनी साइड करने में जुटे हुए हैं।

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पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में असर
दिल्ली में लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2020 में महिलाओं ने ज्यादा मतदान कर अपनी ताकत दिखाई। 2019 में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में तीन नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली में महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रहा। बाकी चार सीटों पर भी महज एक- दो फीसदी का ही अंतर रहा। इस चुनाव में 60।1 प्रतिशत महिलाएं वोट डालने के लिए निकलीं, जबकि पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 60।8 फीसदी था।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में भी इसी तरह कुल 70 विधानसभा सीटों में से 25 पर महिलाओं ने वोटिंग के मामले में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया था। इनमें ओखला, कोंडली, बुराड़ी, वजीरपुर, ग्रेटर कैलाश, संगम विहार, कालकाजी, तुगलकाबाद और बदरपुर जैसी चर्चित विधानसभा सीट भी शामिल थी। इनमें अनधिकृत कॉलोनियों से लेकर पॉश शहरी इलाके, मलिन बस्ती, निचले-मध्यम और मध्य शहरी क्षेत्र भी शामिल थे। इस चुनाव में 62।6 फीसदी पुरुष मतदाताओं ने वोट डाला, वहीं 62।5 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

लोकसभा चुनाव 2014 में पुरुष और महिला मतदाता मतदान में अंतर महज 1।5 प्रतिशत दर्ज किया गया था। अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में यह अंतर घटकर 1।1 प्रतिशत हो गया। लोकसभा चुनाव 2019 में यह घटकर 0।7 प्रतिशत और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में महज 0।1 प्रतिशत रह गया था। लोकसभा चुनाव 2024 में पुरुषों के मुकाबले महिला वोटिंग ज्यादा बढ़ जाने की संभावना है।

भाजपा ने दो महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे
दिल्ली में बीते चुनावों में महिलाओं के मतदान का यह ट्रेंड बताता है कि इस बार भी वह नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए भाजपा ने पिछली बार एक महिला उम्मीदवार की जगह इस बार दो महिलाओं को टिकट दिया है। पिछली बार दिल्ली में भाजपा की मीनाक्षी लेखी सांसद थीं। इस बार भाजपा ने नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज और पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सेहरावत को टिकट दिया है।

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दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने अपनी चार सीटों पर किसी महिला को टिकट नहीं दिया है। कहा जा रहा है कि गठबंधन में शायद कांग्रेस अपनी तीन सीटों में किसी एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है।

आप सरकार ने की हजार रुपये देने की घोषणा,कांग्रेस ने मांगा न्याय
आम आदमी पार्टी सरकार ने महिला वोटरों को अपनी ओर करने के लिए चुनाव से ठीक पहले बजट में 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को एक हजार रुपये देने की घोषणा की है। सरकारी बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा को पहले ही बढ़ावा दिया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आर्थिक मदद की घोषणा के बाद महिला टाउनहाल करके महिलाओं से अपना और अपने घर के वोट आप को दिलाने की अपील कर चुके हैं। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में महिलाओं के लिए न्याय को लेकर लगातार बातें करते दिखे।

भाजपा ने लखपति दीदी कार्यक्रम से महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
भाजपा नीत केंद्र सरकार ने हाल ही में ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम शुरू किया है। इसका मकसद मोदी सरकार की हाल के वर्षों में लागू की गई महिला केंद्रित योजनाओं को बढ़ावा देते हुए उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। इसके पहले मोदी सरकार महिलाओं के आरक्षण समेत 28 से ज्यादा महत्वाकांक्षी योजनाओं को लागू कर और महिला लाभार्थियों से सीधे जुड़ने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है।


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