माफिया अतीक अहमद को उम्रकैद:किडनैपिंग केस में अशरफ समेत 7
प्रयागराज | 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज कोर्ट ने मंगलवार को अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान शौकत हनीफ को दोषी करार दिया है। इसके अलावा बाकी सात अभियुक्तों को बरी किया गया है। माफिया अतीक और दिनेश पासी के खिलाफ 364 A/34, 120 B, 147, 323/149, 341, 342, 504, 506 (2) धाराएं लगाई गई हैं, वहीं खान शौकत के खिलाफ 364 और 120 B धाराएं लगाई हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि क्या है वो मामला जिसमें कोर्ट ने अतीक की जड़ों को हिलाकर रख दिया है।
17 साल पुराना है मामला
अतीक अहमद को जिस मामले में सजा सुनाई गई है, वह मामला 17 साल पुराना है। यह केस है राजू पाल हत्याकांड के मुख्य ग्वाह रहे उमेश पाल के अपहरण का। वही उमेश पाल जिसकी हाल ही में हत्या कर दी गई। उमेश पाल ने ही अतीक के खिलाफ केस दर्ज कराया था कि अतीक ने उसका अपहरण कर उसे टॉर्चर किया था।
28 फरवरी साल 2006 में हुआ था अपहरण
28 फरवरी साल 2006 में उमेश पाल का अपहरण हुआ था। इसके एक साल बीतने के बाद उमेश पाल ने धूमनगंज थाने में अपने अपहरण की तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। दिलचस्प बात यह है कि उमेश पाल ने यह मुकदमा तब दर्ज कराया जब प्रदेश में बसपा की सरकार आई और मायावती साल 2007 मेंमुख्यमंत्री बनीं। उमेश की तहरीर के आधार पर पुलिस ने अतीक, अशरफ और उनके कई करीबीयों पर केस दर्ज किया था।
उमेश ने लगाए थे गंभीर आरोप
उमेश ने अपनी तहरीर में कहा था कि उसे अगवा कर प्रयागराज के चकिया स्थित अतीक के कार्यालय ले जाया गया था। बताया जाता है कि अतीक के दफतर में एक टॉर्चर रूम भी है। पुलिस का मानना है कि उमेश पाल को ले जाकर वहीं रखा गया और उसे यातनाएं दी गईं।
उमेश ने कहा था- मुझे पूरी रात पीटा गया
उमेश ने पुलिस को बताया कि अपहरण के बाद उसे पूरी रात वहीं अतीक के कार्यालय में रखा गया। अपहरण के बाद उसे पूरी रात पीटा गया और धमकाया गया। इसके बाद उससे हलफनामा लिया गया कि वह राजूपाल हत्याकांड के समय मौके पर नहीं था।
इसके बाद अगले ही दिन यानि एक मार्च को उसी हलफनामे के साथ अतीक के करीबियों ने उसे कोर्ट में पेश कर दिया। उमेश ने कोर्ट को बताया कि वह यह हलफनामा अपने होशोहवास में लगा रहा है। उमेश ने कोर्ट में गवाही दी थी कि वह राजूपाल हत्याकांड के समय मौके पर मौजूद नहीं था।
बसपा की सरकार आने के बाद दर्ज कराया मुकदमा
उमेश पाल ने जब हलफनामा दिया कि वह राजूपाल हत्याकांड के समय मौके पर मौजूद नहीं था तो उस समय पूरे इलाहाबाद में चर्चा फैली कि उमेश पाल अतीक अहमद से मिल गया है। हलांकि यूपी में जब सरकार बदली और मायावती सीएम बनीं तो 5 जुलाई साल 2007 में उमेश पाल ने धूमनगंज थाने में केस दर्ज करा दिया। इसमें उसने कहा कि उसे जबरन अपहरण कर दफतर ले जाया गया, उसे बंधक बनाया गया, इसके बाद जबरन हलफनामा तैयार कर उससे गवाही दिलाई गई।