न घोड़ा न गाड़ी…कुछ यूं अपनी दुल्हनिया लेने पहुंचा दूल्हा;खूब हो रही इस शादी की चर्चा
नई दिल्ली। आज का मॉडर्न जमाना है और इस मॉडर्न जमाने में हर काम नए दौर के रीत-रिवाज से किया जाता है। बात शादियों की ही कर लें, तो क्या क्या नहीं किया जाता है। आधुनिकता के दौर में महंगी से महंगी शादियां देखने को मिल जाती हैं। दुल्हन लाने के लिए लग्जरी गाड़ियों से लेकर हेलिकॉप्टर तक मंगाए जाते हैं,लेकिन आज के नए दौर में कोई बैलगाड़ी पर अपनी दुल्हनिया लेने के लिए निकले तो आप भी यकीन नहीं कर पाएंगे। हालांकि उत्तर प्रदेश के रायबरेली से एक ऐसा ही मामला सामना आया है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है।
रायबरेली के रुस्तमपुर इलाके से पूरी बारात पुराने जमाने की तरह बैल गाड़ियों पर सवार होकर दुल्हन लेने पहुंची। रुस्तमपुर इलाके में अजीत उर्फ लल्ला यादव की शादी थी। उसकी बारात जिले के ही मैहू गांव के लिए जानी थी। दूल्हे अजीत ने पुरानी परंपरा के मुताबिक अपनी बारात ले जाने का फैसला लिया। बारात के लिए दूल्हा पक्ष ने कई बैल गाड़ियों की व्यवस्था की।
बैलगाड़ियों पर बारात बनी चर्चा का विषय
शादी वाले दिन जब बारात बैलगाड़ियों में सवार होकर निकली तो हर कोई अपने दरवाजे और छतों पर खड़े होकर इस नजारा देख रहा था। बारातियों की बैलगाड़ी में लगे बैल के पैरों में बंधे घुंघरू खन खन की आवाज कर रहे थे, जो आकर्षण का केंद्र बन गए थे। लोग बैलगाड़ी पर जा रहे दूल्हे और बारातियों को निहारते रहे। बैल गाड़ियों का काफिला जा रहा था। इस प्राचीन परंपरा को देखकर के लोग बहुत खुश भी दिखाई दिए।
खुश नजर आए दोनों पक्ष
दूल्हे के भाई ने कहा कि वह शादी के लिए बहुत ही कुछ अलग करना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने सोचा कि पहले बारात बैलगाड़ी से जाया करती थी। उसी तरह वो भी गाड़ियों की जगह बैलगाड़ियों से बारात लेकर जाएंगे। दूल्हे के पिता ने कहा कि बैल गाड़ियों का इंतजाम करना कठिन काम था, क्योंकि मौजूदा वक्त में बैल और बैलगाड़ी रहे नहीं हैं। हालांकि काफी मेहनत के बाद उन्हें दो दर्जन से अधिक बैलगाड़ी मिल गईं। उधर, अपनी अनोखी बारात को देखकर दुल्हन और उसके परिवार की खुशी का भी ठिकाना नहीं था। दुल्हन ने कहा कि बैलगाड़ी से बारात ला करके उन्होंने इसे मेरी जिंदगी का एक यादगार लम्हा बना दिया है।