पोल बंद,न गाड़ी,न घोषणाएं… आचार संहिता लगते ही देशभर में क्या-क्या पाबंदियां लग जाएंगी

पोल बंद,न गाड़ी,न घोषणाएं… आचार संहिता लगते ही देशभर में क्या-क्या पाबंदियां लग जाएंगी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा होने ही वाली है। कुछ देर में, मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त (CEC) राजीव कुमार आम चुनाव की तारीखों का ऐलान करेंगे। चुनाव आयोग (EC) के लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा करते ही आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू हो जाएगी। आचार संहिता से मतलब उन नियमों से है जिनका पालन चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक करना होता है। मतलब, आदर्श आचार संहिता लोकसभा चुनाव की घोषणा से लेकर परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने पर सरकार के कामकाज का दायरा सीमित हो जाता है। सरकार बड़ा नीतिगत फैसला नहीं ले सकती। नई योजनाओं, प्रोजेक्‍ट्स की शुरुआत नहीं की जा सकती। चुनाव प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं कर सकते। आदर्श आचार संहिता इसलिए बनी है ताकि सभी राजनीतिक दलों को बराबरी का मौका मिल सके। राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए बनी इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग कार्रवाई करता है। आदर्श आचार संहिता के बारे में आपके सभी सवालों के जवाब नीचे जानिए।

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1. आदर्श आचार संहिता क्‍या है?
आदर्श आचार संहिता राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए तय किए गए मानकों का दस्तावेज है। इसे राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। पार्टियां इसका पालन करने के लिए प्रतिबद्धता जताती हैं।

2. तारीखों की घोषणा होने के बाद चुनाव आयोग की भूमिका क्या होती है?

चुनाव आयोग भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 324 के तहत संसद और राज्‍य विधानमंडलों के लिए स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्‍यों के निर्वहन में केंद्र और राज्‍यों में सत्तारूढ़ दल और कैंडिडेट से इसका पालन कराना सुनिश्चित करता है। यह भी देखा जाता है कि अधिकारियों और मशीनरी का दुरुपयोग न हो। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि चुनाव के दौरान अपराध, कदाचार और भ्रष्‍ट आचरण, रिश्‍वतखोरी और मतदाताओं को लुभाने, धमकाना और डराने जैसी गतिविधियां न हों।

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3. किस तारीख से आदर्श आचार संहिता लागू होती है और किस तारीख तक रहती है?,
आदर्श आचार संहिता भारत निर्वाचन आयोग के चुनाव की घोषणा की तारीख से लागू हो जाती है और यह चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है। लोकसभा चुनाव में यह पूरे देश में लागू होती है।

4. आदर्श आचार संहिता लागू होने पर क्‍या मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार के साथ मिला सकते हैं?

नहीं। मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलाएंगे और न ही प्रचार के दौरान सरकारी तंत्र या कर्मचारियों का प्रयोग करेंगे। हालांकि आयोग ने चुनाव प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट दी है।

5. क्‍या सरकार चुनाव कार्य से संबंधित अधिकारियों का ट्रांसफर और तैनाती कर सकती है?

चुनाव से प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध रहता है। अगर किसी अधिकारी का ट्रांसफर या तैनाती आवश्‍यक मानी जाती है तो आयोग की पूर्व अनुमति ली जाएगी।

6. क्‍या कोई अधिकारी मंत्री से उनके निजी दौरे के दौरान उस निर्वाचन क्षेत्र में मिल सकते हैं, जहां चुनाव हो रहे हैं?

कोई अधिकारी अगर मंत्री से चुनाव क्षेत्र में उनके निजी दौरे के दौरान मिलता है, तो वह सेवा नियमों के तहत कदाचार के दोषी होगा। अगर वह लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 129(1) में उल्लिखित पदाधिकारी है तो उसे नियमों का उल्‍लंघन करने का अतिरिक्‍त दोषी माना जाएगा और दंड की कार्रवाई की जा सकती है।

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7. क्‍या चुनाव के दौरान मंत्री सरकारी गाड़ी के हकदार होंगे?

मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक आवास से अपने कार्यालय तक सरकारी कार्यों के लिए ही मिलेगा, बशर्ते इस प्रकार के सफर को किसी चुनाव प्रचार के काम या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए।

8. क्‍या राजनीतिक कार्यकर्ताओं के आवास पर ‘इफ्तार पार्टी’ या ऐसी कोई अन्‍य पार्टी आयोजित की जा सकती है जिसका खर्चा सरकारी कोष से किया जाएगा?

नहीं। हालांकि कोई भी व्‍यक्ति अपनी निजी क्षमता और अपने निजी घर पर ऐसी पार्टी का आयोजन करने के लिए स्‍वतंत्र है।

9. क्‍या सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास फंड की किसी योजना के अंतर्गत निधियों को नए सिरे से जारी कर सकता है?

नहीं. ऐसे किसी भी क्षेत्र में जहां चुनाव चल रहे हैं वहां चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक एमपी/एमएलए/एमएलसी स्‍थानीय क्षेत्र विकास फंड की किसी योजना के अंतर्गत फंड को नए सिरे से जारी नहीं करेंगे।

10. क्‍या चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्‍थानों का प्रयोग करने पर कोई प्रतिबंध है?

जी हां. धार्मिक स्‍थान जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा वोट प्राप्‍त करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी।

11. क्या जनसभा आयोजित करने या जुलूस निकालने पर कोई प्रतिबंध है?

हा. किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति लेनी चाहिए।

12. क्या लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल करने के लिए कोई समय-सीमा है?

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हां. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता है।

13. क्या ओपिनियन पोल या एग्जिट पोल किसी भी समय आयोजित, प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित किए जा सकते हैं?

नहीं। किसी भी तरह से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य मीडिया द्वारा किसी भी जनमत सर्वेक्षण या एग्जिट पोल के परिणाम को प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा। टाइमिंग इस प्रकार से है-

  • एक ही चरण में आयोजित चुनाव में मतदान होने के निर्धारित घंटे के साथ समाप्त हो रही 48 घंटों की अवधि के दौरान और
  • बहुस्तरीय चुनाव में और विभिन्न राज्यों में एक साथ चुनाव के मामले में, प्रथम चरण के मतदान के लिए निर्धारित समय के शुरू होने से 48 घंटे शुरू होने की अवधि के दौरान और सभी राज्यों में सभी चरणों के मतदान समाप्त हो जाने तक।

भारत में आम चुनाव
वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को पूरा हो रहा है। लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं जिनके लिए हर पांच साल में आम चुनाव होते हैं। इनमें से 131 सीटें (24।03%) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। 2024 में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। भारत के आम चुनाव पूरी दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। आगामी लोकसभा चुनाव में लगभग 97 करोड़ लोग वोट डालने के योग्य होंगे। देशभर के 12 लाख से ज्‍यादा मतदान केंद्रों पर वोट डाले जाएंगे।

Shiv murti

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