नालासोपारा भाजपा विधायक राजन नाईक पर संपत्ति छिपाने का गंभीर आरोप
पालघर नालासोपारा, (जनवार्ता): महाराष्ट्र विधानसभा की 132 नालासोपारा सीट से भाजपा विधायक राजन बालकृष्ण नाईक पर चुनावी हलफनामे में संपत्तियों और व्यवसायों की जानकारियां जानबूझकर छिपाने का आरोप लगाया गया है। स्थानीय निवासी संजीव भागीरथी पांडेय ने 4 सितंबर को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, विधानसभा अध्यक्ष और विधानमंडल सचिवालय को एक विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है, जिसमें विधायक नाईक को अयोग्य घोषित करने और उनकी सीट पर दोबारा चुनाव कराने की मांग की गई है। शिकायत में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125ए और 175 के तहत कार्रवाई की भी मांग की गई है।
शिकायतकर्ता संजीव पांडेय, नालासोपारा पश्चिम में रहते हैं, ने दावा किया है कि विधायक राजन नाईक ने 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को सौंपे गए शपथ पत्र में कई महत्वपूर्ण जानकारियां अधूरी या गुम छोड़ी हैं। पांडेय ने पत्र में 12 प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया है, जो विधायक की संपत्तियों, व्यवसायों और परिवारिक हितों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, “यदि कोई उम्मीदवार अपनी संपत्तियों की पूरी डिटेल न देकर सामान्य शब्दों में ‘होटल’ लिख दे, तो यह पारदर्शिता का उल्लंघन है।”
#### शपथ पत्र में कथित छिपाई गई जानकारियां
पांडेय के अनुसार, विधायक राजन नाईक ने शपथ पत्र में केवल एक होटल का उल्लेख किया है, लेकिन वास्तव में उनके पास कई होटल हैं, जिनके स्थान, नाम और संख्या का खुलासा नहीं किया गया। इसी तरह, साईं बाबा वाटर सप्लायर (जीएसटी नंबर: 27ABNPN6168L1ZV) का प्रोप्राइटरशिप उनके नाम पर है, लेकिन शपथ पत्र में इसका जिक्र नहीं है। उन्होंने दावा किया कि पेट्रोल पंप भी इसी व्यवसाय के नाम से संचालित है, जबकि शपथ पत्र में केवल ‘पेट्रोल पंप’ का सामान्य उल्लेख है।
शिकायत में नालासोपारा पूर्व के संतोष भवन में ‘दादाजी ढाबा’ का भी जिक्र है, जो विधायक के परिवार के नाम पर है। पांडेय ने कहा कि इस ढाबे की जगह पर हाल ही में एक इलेक्ट्रॉनिक शोरूम खोला गया था, जो अब बंद है, और यह मुख्य सड़क पर होने के कारण अत्यधिक मूल्यवान जमीन है। इसके अलावा, अम्बा वाड़ी में राम बलराम अपार्टमेंट की दो दुकानें (गलियां) विधायक के भाई और परिवार के नाम पर हैं, जो अवैध निर्माण वाली बिल्डिंग होने के कारण रजिस्ट्रार कार्यालय में रिकॉर्ड नहीं हैं।
शिक्षा क्षेत्र में भी आरोप लगाए गए हैं। पांडेय ने दावा किया कि विधायक नाईक की बहू से जुड़ी प्रगती एज्युकेशन सोसायटी, प्रगती डिग्री कॉलेज (वसई) और अंकिता प्रतीक नाईक कॉलेज का उल्लेख शपथ पत्र में नहीं है। साथ ही, पंचम कॉलेज में उनकी पार्टनरशिप और अन्य स्कूल-कॉलेजों में हितों की जांच की मांग की गई है।
एक महत्वपूर्ण बिंदु नालासोपारा पश्चिम के सर्वे नंबर 95 (नीलमोर) की जमीन है, जो विधायक के नाम पर सात-बारा रिकॉर्ड में दर्ज है, लेकिन शपथ पत्र में इसका जिक्र नहीं। पांडेय ने इसकी प्रति भी संलग्न की है। उन्होंने सुझाव दिया कि महानगरपालिका के घरपट्टी रिकॉर्ड, बिजली विभाग के मीटर और अन्य सरकारी दस्तावेजों से विधायक और उनके परिवार की चल-अचल संपत्तियों की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
*शपथ पत्र में क्या घोषित है?*
चुनाव आयोग की वेबसाइट और मायनेटा.इन के अनुसार, विधायक राजन नाईक ने 2024 के शपथ पत्र में कुल संपत्ति 45.19 करोड़ रुपये घोषित की है, जिसमें चल संपत्ति 30.68 करोड़ और अचल संपत्ति 14.51 करोड़ शामिल हैं। अचल संपत्ति में कृषि भूमि (उमरोली, कर्मले), गैर-कृषि भूमि (सोपारा, गोकिबरे, नीलमोर) और व्यावसायिक भवन (होटल, पेट्रोल पंप, सत्यम शिवम सोसाइटी) का उल्लेख है। पेशे के रूप में ‘लैंड डेवलपर, कंस्ट्रक्शन और पेट्रोल पंप बिजनेस’ लिखा गया है। एक होटल (13,000 वर्ग फुट) की कीमत 1.10 करोड़ बताई गई है। हालांकि, साईं बाबा वाटर सप्लायर, प्रगती एज्युकेशन सोसायटी या पंचम कॉलेज का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
आयकर रिटर्न के अनुसार, 2023-24 में उनकी आय 2.20 करोड़, पत्नी की 9.04 लाख और एचयूएफ की 2.98 लाख रही। आपराधिक मामलों में 11 केस दर्ज हैं, ज्यादातर कोविड-19 संबंधित (आईपीसी धारा 269, 270 आदि), और एक में दोषी ठहराए जाने पर 1,000 रुपये जुर्माना लगा।विधायक की प्रतिक्रिया का इंतजार
विधायक राजन नाईक के कार्यालय से इस शिकायत पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। उनके फेसबुक पेज पर हाल की पोस्ट सेवा पंधरवड़ा और स्थानीय कार्यक्रमों पर केंद्रित हैं। भाजपा नेता के रूप में राजन नाईक 2024 चुनाव में नालासोपारा से 30,149 वोटों से जीते थे।
शिकायतकर्ता पांडेय ने कहा, “यह पारदर्शिता के लिए है। चुनाव आयोग और राज्यपाल से जांच की अपेक्षा है, ताकि वास्तविक संपत्ति का पता चले।” यदि ये आरोप साबित होते हैं, तो यह विधायक राजन नाईक के राजनीतिक करियर पर बड़ा सवाल खड़ा कर सकता है। मामले की जांच चुनाव आयोग या अदालत द्वारा हो सकती है।