इस साल पड़ने वाली है भयंकर गर्मी,मौसम विभाग ने की है भविष्यवाणी… लू से बचने का उपाय
नई दिल्ली। देश अप्रैल-जून की अवधि में अत्यधिक गर्मी का सामना कर रहा है। दक्षिण भारत समेत कई राज्यों में तापमान पहले से ही बढ़ना शुरू हो गया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना से लेकर गोवा तक लू को लेकर राज्य सरकारों की तरफ से एडवाइजरी जारी की जा रही हैं। देश के कई हिस्सों में तापमान 40 से 43 डिग्री सेल्सियस तक चला गया है। ऐसे में लू का खतरा बढ़ गया है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल अप्रैल-जून में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा। इसके अलावा मध्य और पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ने की आशंका है। मौसम विभाग का कहना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्यतः चार से आठ दिन की तुलना में 10-20 दिन तक लू चल सकती है।
लू क्या है
मौसम विभाग के अनुसार जब अधिकतम तापमान सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री या अधिक होता है या अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस होता है। उसे लू माना जाता है। यदि अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो जाए तो उस दौरान चलने वाली हवा भी लू मानी जाती है। ‘गंभीर’ लू तब घोषित की जाती है जब अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री या अधिक होता है। सामान्य शब्द में गर्मियों में उत्तर पूर्व या पश्चिम से पूरब दिशा की ओर चलने वाली प्रचंड गर्मी और शुष्क हवाओं को लू कहते हैं।
सरकार की तरफ से सलाह
स्कूल पीक आवर्स (दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे) के दौरान काम न करें। खुले में क्लासों पर रोक लगे।
लू की घोषणा होने पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक सड़कों पर बसों का संचालन ना किया जाए।
नियोक्ताओं को फील्ड कर्मचारियों के शेड्यूल को पीक दोपहर के घंटों (दोपहर 1- शाम5 बजे) को कम किया जाए
प्रवासी आबादी के लिए रैन बसेरे पूरे दिन खुले रहें।
पानी के सभी गैर-आवश्यक यूज को रोक दिया जाए।
प्याऊ के जरिये लोगों तक स्वच्छ पेयजल लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए
लू में किन बातों का रखें ध्यान
लू की वजह से हीट क्रैंप,हीट एक्जॉशन या हीट स्ट्रोक का खतरा बन जाता है।
ऐसे में घरों में बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखने पर जोर देना चाहिए। दिन में घर से बाहर जाने पर विभिन्न एहतियात बरतें।
दिन में समय-समय पर पर्याप्त पानी पीएं। शरीर में पानी की कमी ना होने दें।
लू से बीमार महसूस होने पर नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में डॉक्टर से सलाह लें।