टोरेंट पावर का फ्रेंचाइजी करार रद्द करने की मांग
बनारस में बिजली निजीकरण के खिलाफ 370वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन

वाराणसी (जनवार्ता) | विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर मंगलवार को लगातार 370वें दिन प्रदेश भर के बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया। वाराणसी में भी सैकड़ों बिजली कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी की और टोरेंट पावर सहित निजी कंपनियों के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया।

संघर्ष समिति ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि टोरेंट पावर कंपनी ने उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘बिजली बिल राहत योजना-2025’ में उपभोक्ताओं को 25% छूट देने से साफ इनकार कर दिया है। कंपनी का कहना है कि जब तक पावर कॉर्पोरेशन उसकी भरपाई नहीं करेगा, तब तक वह अपने खाते से छूट नहीं देगी। समिति ने इसे उपभोक्ता-विरोधी रवैया बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल प्रभाव से आगरा में टोरेंट पावर का फ्रेंचाइजी करार रद्द करने की मांग की है।
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2010 में आगरा की बिजली व्यवस्था टोरेंट को सौंपी गई थी। उस समय पावर कॉर्पोरेशन का करीब 2200 करोड़ रुपये का बकाया राजस्व था, जिसे वसूल कर कंपनी को निगम को देना था और बदले में 10% इंसेंटिव मिलना था। लेकिन 16 साल बीतने के बाद भी कंपनी ने एक पैसा नहीं दिया। इसके अलावा करार की शर्तों का लगातार उल्लंघन और कैग रिपोर्ट में उजागर घोटाले का हवाला देते हुए समिति ने करार रद्द करने की मांग दोहराई।
वाराणसी में संविदा कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर भी कर्मचारियों में भारी रोष है। समिति ने बताया कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश के बावजूद संविदा कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है, जिससे बिजली व्यवस्था चौपट हो रही है। आज मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा गया था, लेकिन अति व्यस्तता के कारण समय नहीं मिल सका। आगामी वाराणसी दौरे में पुनः प्रयास किया जाएगा।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यदि टोरेंट पावर का करार रद्द नहीं किया गया और पूर्वांचल तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सभा को मायाशंकर तिवारी, ओम प्रकाश सिंह, एसके सिंह, अंकुर पाण्डेय, राजेश सिंह, संदीप कुमार, जयप्रकाश सिंह, सरोज भूषण, कृपाल सिंह, उमेश यादव, गुलजार अहमद, मनोज यादव सहित अनेक नेताओं ने संबोधित किया।

