बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन में की आगरा फ्रेंचाइजी घोटाले के जांच की मांग
वाराणसी (जनवार्ता): विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में 285 दिनों से चल रहे आंदोलन के तहत सोमवार को बनारस में बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने आगरा की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर को सौंपने की बिडिंग प्रक्रिया में कथित घोटाले और सीएजी की अनुशंसा को दबाने का आरोप लगाया, जिससे पावर कॉरपोरेशन को प्रतिवर्ष अरबों रुपये का नुकसान हो रहा है।
संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि आगरा फ्रेंचाइजी की बिडिंग में हुए कथित घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। समिति ने कहा कि सीएजी ने 2015 में अपनी रिपोर्ट में आगरा फ्रेंचाइजी की बिडिंग प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए इसे रद्द करने की सिफारिश की थी, लेकिन इसे दबा दिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, बिडिंग में टीएंडडी हानियां 28.22% के बजाय 44.85% और संग्रहण क्षमता 82.34% के बजाय 74.77% दर्शाई गई, जिसका कोई तर्कसंगत आधार नहीं था। इससे टोरेंट पावर को सस्ती दरों पर बिजली दी जा रही है, जिसके चलते पावर कॉरपोरेशन को प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। सीएजी ने अनुमान लगाया था कि 18 वर्षों में इस अनुबंध से 4601 करोड़ रुपये की हानि होगी, जिसमें से 14 वर्षों में 3432 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
संघर्ष समिति ने मांग की कि आगरा फ्रेंचाइजी करार तत्काल रद्द किया जाए और पूर्वांचल व दक्षिणांचल के निजीकरण की प्रक्रिया भी रोकी जाए। समिति ने चेतावनी दी कि आगामी दिनों में आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण में हुए घोटालों के और खुलासे किए जाएंगे।
प्रदर्शन को ई. मायाशंकर तिवारी, ई. एस.के. सिंह, दीपक गुप्ता, नेहा कुमारी, लोकनाथ कुशवाहा, संजय गौतम, रमाकांत पटेल, सुशांत गौतम, कृपाल सिंह, उमेश सिंह, पंकज यादव, बृजेश यादव, सूरज रावत, रामाशीष कुमार, प्रवीण कुमार आदि ने संबोधित किया।