आईआईवीआर ने हर्षोल्लास के साथ मनाया 35वां स्थापना दिवस

आईआईवीआर ने हर्षोल्लास के साथ मनाया 35वां स्थापना दिवस

कृषि को समग्र रूप में देखने की जरूरत: डॉ. मंगला राय

वाराणसी (जनवार्ता) : भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), शाहंशाहपुर, वाराणसी ने अपने 35वें स्थापना दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया। समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और संस्थान के ध्येय वाक्य “विज्ञान-आधारित सब्जी विकास: स्वस्थ एवं समृद्ध भारत की ओर” के उद्घोष के साथ हुआ। इस अवसर पर संस्थान के पोषण और आर्थिक सुरक्षा में योगदान को रेखांकित किया गया। 

मुख्य अतिथि डॉ. मंगला राय, पूर्व सचिव डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर ने कहा कि कृषि को समेकित और समग्र दृष्टिकोण से देखना आज समय की मांग है। उन्होंने आईआईवीआर की सब्जी क्रांति में अग्रणी भूमिका की सराहना करते हुए जलवायु स्मार्ट फसलें, पोषक तत्वों से भरपूर किस्में और शहरी खेती मॉडल को खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने मृदा सूक्ष्मजीवों, सेकेंडरी एग्रीकल्चर और मृदा कार्बन पर शोध को बढ़ावा देने का आह्वान किया। 

विशिष्ट अतिथि डॉ. सुधाकर पांडेय, सहायक महानिदेशक, भाकृअनुप ने बताया कि वर्तमान में प्रति व्यक्ति प्रति माह लगभग 9 किलोग्राम फल-सब्जी उपलब्ध है, लेकिन 25 वर्ष बाद 592 मिलियन टन और 34 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता की आवश्यकता होगी। उन्होंने बहु-रोग प्रतिरोधी किस्मों और आधुनिक तकनीकों पर जोर दिया। 

संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि आईआईवीआर का लक्ष्य सब्जियों को केवल पोषण का साधन नहीं, बल्कि किसानों की समृद्धि और सतत आजीविका का आधार बनाना है। उन्होंने जीनोमिक्स, एआई आधारित प्रजनन, जलवायु सहनशील किस्में और प्राकृतिक खेती पर भविष्य के शोध की योजना साझा की। 

संस्थान ने अब तक 33 सब्जी फसलों की 133 उन्नत किस्में (25 संकर सहित) विकसित की हैं, जिनमें काशी मनु, काशी अन्नपूर्णा, काशी उदय, काशी क्रांति, काशी अमन और काशी गंगा जैसी किस्में किसानों में लोकप्रिय हैं। टोमैटो ग्राफ्टिंग, पोमेटो, ब्रिमेटो, माइक्रोन्यूट्रिएंट फॉर्मुलेशन और मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे हरी मिर्च पाउडर, लौकी खीर मिक्स और करेला चिप्स ने ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दिया है। 

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कार्यक्रम में डॉ. नागेंद्र राय, संजय कुमार यादव, गोपीनाथ, कमलेश मीना और नारायणी सिंह को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। जनजातीय उप-योजना के तहत 15 अनुसूचित जनजातीय महिलाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और सिलाई मशीनें प्रदान की गईं। इसके अलावा, नेक्सस एग्रो जेनेटिक्स सीड्स, तेजस्वनी सीड्स, त्रिपाठी बीज उत्पादक समिति और अन्य के साथ तकनीक हस्तांतरण के लिए समझौते किए गए। 

कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीरज सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ए.एन. सिंह ने किया। यह आयोजन संस्थान की उपलब्धियों और भविष्य की दिशा को दर्शाने वाला एक प्रेरक मंच साबित हुआ।

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