झोपड़िया छोटी सी | संतोष और भक्ति से भरा सरल जीवन
झोपड़िया छोटी सी यह पंक्ति सादगी और संतोष की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति है। भगवान का नाम लेने के लिए न तो महल चाहिए और न ही वैभव, बस एक सच्चा दिल और भक्ति से भरा मन काफी है। जब भक्ति का दीपक जलता है, तो छोटी सी झोपड़ी भी मंदिर बन जाती है। यह भाव हमें याद दिलाता है कि सुख वस्तुओं से नहीं, बल्कि ईश्वर की उपस्थिति और संतोष से प्राप्त होता है। भक्ति में मन लगे तो हर जगह परमात्मा का वास है।

ओए होए झोपड़िया छोटी सी,
ओए होए झोपड़िया छोटी सी,
ओए होए झोपड़िया छोटी सी,
तुझे कहा मैं बैठाऊ,
तुझे कैसे मैं रिझाउ,
मुझे इतना बता हनुमान,
ओए होए झोपड़िया….
भाग्य हमारा आप पधारे,
कृपा हुई तो दर्शन हुआ रे,
आके बड़ाया मान,
ओए होए झोपड़िया छोटी सी,
तूने आके बड़ाया मान,
ओए होए झोपड़िया….
ना कोई रिश्ता ना कोई नाता,
विश्वास मुझको अब भी ना आता,
बन गए मेरे महमान्,
ओए होए झोपड़िया छोटी सी,
तुम बन गए मेरे महमान्,
ओए होए झोपड़िया…..
है रूखी सुखी भोग लगाओ,
है रूखी सुखी भोग लगाओ,
परिवार से अब प्रेम बड़ाओ,
परिवार से अब प्रेम बड़ाओ,
ओए होए झोपड़िया…..
ना चाहिए चांदी ना चाहिए सोना,
बनवारी आँशु से चरणो को धोना,
करते रहे गुणगान,
ओए होए झोपड़िया छोटी सी,
बस करते रहे गुणगान,
ओए होए झोपड़िया…..
भाव से भक्ति करने की विधि
- स्थान और तैयारी: अपने घर के किसी कोने में, जहाँ शांति हो, भगवान का चित्र या दीपक रखें।
- साधन: एक दीपक, फूल और जल पात्र रखें — अधिक आडंबर की आवश्यकता नहीं।
- प्रारंभ: मन को शांत करें और कहें — “प्रभु, मेरी झोपड़िया छोटी सही, पर इसमें आपका नाम बसता रहे।”
- भजन या जप: प्रेमपूर्वक “झोपड़िया छोटी सी” भाव का भजन या कोई भी सरल भक्ति गीत गाएँ।
- समापन: भगवान को धन्यवाद दें और प्रार्थना करें कि आपका हृदय सदैव संतोष और प्रेम से भरा रहे।
इस भाव से मिलने वाले लाभ
- मन की शांति: भक्ति के माध्यम से मन का तनाव और बेचैनी मिटती है।
- संतोष की अनुभूति: व्यक्ति छोटी चीज़ों में भी आनंद अनुभव करता है।
- आध्यात्मिक जागरण: भगवान के प्रति प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
- घर में सौहार्द: परिवार में प्रेम, एकता और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
- भक्ति का विस्तार: धीरे-धीरे मन हर समय ईश्वर-स्मरण में लगने लगता है।
निष्कर्ष
हमें यह सिखाती है कि भक्ति के लिए बड़े मंदिर या वैभवशाली स्थान की आवश्यकता नहीं होती। जब मन में प्रेम और आस्था होती है, तो छोटी सी झोपड़ी भी प्रभु का धाम बन जाती है। सच्चा सुख तब मिलता है जब हम संतोष और श्रद्धा से जीवन जीते हैं, चाहे साधन सीमित ही क्यों न हों। इस भाव से जीने वाला व्यक्ति हर परिस्थिति में आनंदित और कृतज्ञ रहता है, क्योंकि उसके हृदय में भगवान का वास होता है।

