11 आरोपितों पर चलेगा धार्मिक उन्माद फैलाने व दंगा भड़काने का मामला
रांची। भाजपा से निलंबित नेत्री नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के विरोध में रांची में गत वर्ष दस जून 2022 को भड़की उपद्रव व हिंसा मामले में जांच के दौरान सामने आए 11 आरोपितों पर धार्मिक उन्माद फैलाने व दंगा भड़काने से संबंधित धाराओं में मुकदमा चलाने के लिए रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने राज्य सरकार के गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से अनुमति मांगी है। यह अनुमति रांची के डेलीमार्केट थाने में दर्ज कांड संख्या 17/22 में मांगी गई है, जिसकी जांच सीआइडी कर रही है।
इन धाराओं में चलाया जाएगा मुकदमा
जिन धाराओं में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गई है, उनमें धारा 153 (ए), 153एए व 295ए भादवि (भारतीय दंड विधान) शामिल हैं। रांची के उपायुक्त ने सीआइडी की अनुशंसा पर स्वीकृति देते हुए राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। अनुमति मिलते ही सभी आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
इनके विरुद्ध मांगी गई है मुकदमा चलाने की अनुमति
मोहम्मद साबिर अंसारी (इस्लाम नगर, पत्थलकुदवा चौक, थाना लोअर बाजार, जिला रांची), मोहम्मद सरफराज (बालूमाथ, थाना बालूमाथ, जिला लातेहार), मोहम्मद तबारक कुरैशी (गुदढ़ी चौक, इमारत सरिया गली, थाना लोअर बाजार, जिला रांची), मोहम्मद शहबाज (साउथ स्ट्रीट, कुर्बान चौक, थाना हिंदपीढ़ी, रांची), मोहम्मद उस्मान उर्फ करण कच्छप (पत्थलकुदवा, इस्लाम नगर, थाना लोअर बाजार, जिला रांची), मोहम्मद अफसर (कलाल टोली, थाना लोअर बाजार, जिला रांची), मोहम्मद अरमान हुसैन (अप्राथमिकी अभियुक्त, निजाम नगर, थाना हिंदपीढ़ी, रांची), मोहम्मद रमजान (निजाम नगर, हिंदपीढ़ी, रांची), मोहम्मद अमजद (हिंदपीढ़ी, गोपाल गली वंशी चौक के नजदीग, थाना हिंदपीढ़ी, रांची), मोहम्मद माज (नेजाम नगर, मोती मस्जिद, जावेद स्ट्रीट के पास, थाना हिंदपीढ़ी, रांची) व मोहम्मद इरफान अंसारी उर्फ इरफान उर्फ जुबेर आलम (इरगु पहाड़ी टोला, थाना सुखदेवनगर, रांची)।
जानें क्या है तीनों धाराएं
धारा 153ए भादवि: पूजा के स्थान आदि में किया गया अपराध इस धारा के अधीन आता है। कोई भी व्यक्ति किसी पूजा के स्थान में या किसी जमाव में जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो वहां अपराध करता हो। उस पर दोष साबित होने पर उसे पांच वर्ष तक की सजा व आर्थिक दंड लगाया जा सकता है।
धारा 153 एए भादवि: जो कोई किसी जुलूस में जान-बूझकर शस्त्र अथवा हथियार ले जाता है, उसका प्रशिक्षण देता है या संचालन या आयोजन करता है और उसमें भाग लेता है। इस धारा में दोष साबित होने पर आरोपित को छह महीने तक का कारावास और दो हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
: अगर कोई व्यक्ति भारतीय समाज के किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर दुर्भाग्यपूर्ण कार्य करता है। इससे संबंधित वक्तव्य देता है तो वह धारा 295ए भादवि के तहत दोषी माना जाएगा। यह गैर जमानतीय धारा है। इसमें दोष साबित होने पर दोषी तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों का भागीदार होगा।
उपद्रव में चली गई थी दो की जान
रांची के मेन रोड में उपद्रव, गोलीबारी तथा पत्थरबाजी में विरोध में मार्च निकालने वाले जुलूस में शामिल दो युवकों की जान चली गई थी। इस घटना में दोनों तरफ से दो दर्जन से अधिक पुलिस व आम लोग जख्मी हुए थे, जिनका रिम्स में इलाज कराया गया था। जांच में विलंब होने पर राज्यपाल रमेश बैस भी नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री से पत्राचार भी किया था और इसदपर गंभीरता से विचार करने को कहा था। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से रांची हिंसा मामले में रिपोर्ट भी मांगी थी।
हाई कोर्ट ने सरकार के रवैये पर जताई नाराजगी
वहीं, झारखंड हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सुनवाई के दौरान सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई थी। अदालत ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की पुलिस व सीआइडी से अलग-अलग जांच कराने से प्रतीत होता है कि सरकार आरोपितों को बचाना चाहती है। सीआइडी ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि इस तरह के मामलों की जांच में कितनी सफलता मिली। अदालत ने कहा कि घटना के प्रत्यक्षदर्शी रांची के तत्कालीन एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा व डेलीमार्केट थानेदार को हटाने के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं है।