यूपी में पीसीएस प्री एग्जाम को लेकर मचा है बवाल? ये UPPSC का प्री नॉर्मलाइजेशन क्या है?

यूपी में पीसीएस प्री एग्जाम को लेकर मचा है बवाल? ये UPPSC का प्री नॉर्मलाइजेशन क्या है?
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लखनऊ। इसी बीच बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर दोनों परीक्षाओं को एक दिन-एक पाली में कराने की अपील की है। इस संबंध में शासन और आयोग के अधिकारियों को आदेश देने के लिए कहा है। पत्र के जरिये बीजेपी MLC ने सीएम योगी को चेताते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों की नाराजगी का नतीजा सुखद नहीं होगा।

7 और 8 दिसंबर को दो पालियों में होनी है PCS प्री की परीक्षा
दरअसल यूपी लोक सेवा आयोग ने पीसीएस-प्री की परीक्षा का आयोजन 7 और 8 दिसंबर को दो-दो पालियों में किया जाएगा। वहीं आरओ-एआरओ प्री की परीक्षा 22, 23 दिसंबर को होनी है। अब इसको लेकर अभ्यर्थियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। प्रतियोगी अभ्यर्थी अपना विरोध जताने के साथ ही स्केलिंग और नॉर्मलाइजेशन व्यवस्था को लेकर भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

अभ्यर्थियों ने मांग करते हुए कहा कि आयोग के स्तर से आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षा पीसीएस और आरओ-एआरओ के प्रिलिम्स चरण को एक दिन एक पाली में संपन्न कराया जाए। इससे मानकीकरण का दंश प्रतियोगियों को न भुगतना पड़े, क्योंकि यह व्यवस्था विवादास्पद रही है और इससे छात्रों का हित प्रभावित होगा।

नॉर्मलाइजेशन या मानकीकरण क्या है
जानकारी के मुताबिक, जब एक या एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा होती है तो वहां नॉर्मलाइजेशन आएगा। दोनों दिन के पेपर सेट अलग-अलग होते हैं और उनके सवाल भी अलग-अलग होते हैं। ऐसे में एक शिफ्ट का पेपर कठिन हो सकता है तो दूसरे शिफ्ट का आसान हो सकता है। इस तरह दोनों शिफ्टों की परीक्षा कभी समान लेवल की नहीं हो सकती है। उस स्थिति में दोनों शिफ्ट को नार्मल करना होता है।

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ताकि किसी बच्चे को नुकसान न हो, इसलिए नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसे अभ्यर्थी डक वर्थ लुइस नियम की तरह बता रहे हैं। पीसीएस से ज्यादा आरओ-एआरओ की परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन ज्यादा असर करेगा। जितने ज्यादा शिफ्ट होते हैं नॉर्मलाइजेशन का असर उतना ज्यादा होता है।

फॉर्मूले क्या है
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में आयोग एक फॉर्मूले का इस्तेमाल करता है। उदाहरण के तौर पर अगर समझें तो जैसे 7 और 8 दिसंबर को दिन परीक्षा होनी है। 7 तारीख के अभ्यर्थियों को औसतन नंबर 100 मिले और 8 तारीख को परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को औसतन नंबर 110 मिले। ऐसा हो सकता है कि 7 तारीख को पेपर कठिन आने से अभ्यर्थीयों को ज्यादा नंबर नहीं मिल सके। ऐसे में दोनों दिनों का औसत नंबर निकालने पर 105 नंबर आया।

7 तारीख के सभी अभ्यर्थियों में 5 नंबर जोड़ दिए, जबकि 8 तारीख वाले सभी अभ्यर्थियों के 5 नंबर घटा दिए गए। इस तरह 7 और 8 तारीख वाले अभ्यथियों का औसत नंबर 105 हो गया। इस प्रक्रिया में 7 तारीख के अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचता है, जबकि 8 तारीख वाले अभ्यर्थियों को 5 नंबर का नुकसान होगा। इस आधार पर भी नॉर्मलाइजेशन लागू कर सकते हैं।

नॉर्मलाइजेशन की दूसरी प्रक्रिया
इसी क्रम में एक दूसरी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें 7 तारीख वाले अभ्यर्थियों को औसत नंबर बराबर करने के लिए उसमें 10 नंबर जोड़ दिया जाए। इस स्थिति में 8 तारीख वाले अभ्यर्थियों के नंबर घटाए नहीं जाते हैं। तब दोनों दिनों के अभ्यर्थियों के औसत नंबर 110-110 हो जाएंगे। इससे 7 तारीख नंबर वाले अभ्यर्थियों को 10 नंबर का फॉयदा मिल जाता है। वहीं 8 तारीख वाले अभ्यर्थियों का न ही कोई फायदा होता है और न नुकसान होता है।

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यह प्रक्रिया मात्र उदाहरण के तौर पर है। अब आयोग किस प्रक्रिया को लागू करता है, ये अभी साफ नहीं हुआ है। फिलहाल अभ्यर्थियों का कहना है कि दो शिफ्ट में पेपर होगा तो कैसे तय करेंगे कि कौन सा पेपर सरल है और कौन सा कठिन होगा। क्या पता जिसे कठिन बताया जा रहा है वो हमारे लिए सरल हो।

2 दिनों में परीक्षा SC के फैसले का खुला उल्लंघन
दूसरी ओर बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी अभ्यर्थीयों की मांग पर अपना समर्थन दे दिया है। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी को पत्र लिखकर कहा कि 5 नवंबर को जारी विज्ञप्ति में परीक्षाओं को कई पालियों में कराने की बात कही गई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश ‘चयन व भर्ती प्रक्रिया के नियम बीच में बदले नहीं जा सकते है’ का हवाला देते हुए कहा कि दो दिनों में परीक्षा SC के फैसले का खुला उल्लंघन है। अगर इसके खिलाफ अभ्यर्थियों ने SC का दरवाजा खटखटाया तो भर्ती लटक जाएगी। इससे PCS के 5,74,000 अभ्यर्थी और RO-ARO के 11 लाख अभ्यर्थियों में रोष और गुस्सा बढ़ जाएगा।

बीजेपी MLCने आयोग पर खड़े किए सवाल
बीजेपी MLC ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों के गुस्से का परिणाम सुखद नहीं होगा। साथ ही कहा कि स्केलिंग भर्ती प्रक्रिया में घपले और घोटाले की सबसे बड़ी जड़ है, जिसे फिर से लागू करने से पारदर्शिता समाप्त हो जाएगी। स्केलिंग घपले और घोटाले का हथियार बन जाएगा।
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उन्होंने परीक्षा केंद्रों को लेकर कहा कि 10 किमी. के अंदर परीक्षा केंद्र बनाए जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे आयोग को पर्याप्त परीक्षा केंद्र नहीं मिल पा रहे हैं। शासन अपने एसओपी में बदलाव करें, जिससे सभी जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए जा सकें और एक दिन एक पाली में परीक्षा हो सकें। 4 नवंबर को 4 लाख अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ एक्स पर पोस्ट किया है।

बीजेपी पर बोला हमला
अभ्यर्थियों की इस मांग पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पिछले दिनों अपनी प्रतिक्रिया दी थी। प्रियंका गांधी ने पोस्ट के जरिये कहा कि प्रतियोगी छात्र UPPCS की परीक्षा दो दिन में कराने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। अभ्यर्थियों का तर्क जायज है कि एक ही परीक्षा दो दिन में होगी तो नॉर्मलाइजेशन की आड़ में स्केलिंग जैसा खेल फिर शुरू होगा।

कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी एक तरफ युवाओं का भविष्य चौपट कर रही है, दूसरी तरफ नौकरियां नहीं देकर पिछड़ों, दलितों और वंचितों से आरक्षण का अधिकार छीन रही है। फिलहाल अभ्यर्थी अपनी मांगों पर डटे हैं। अभ्यर्थी दो दिन में परीक्षा कराने को नियम के खिलाफ बता रहे हैं।


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