माँ कात्यायनी के दर्शन मात्र से दुर होती है विवाह सम्बंधित बाधाएं,पूरी होती हैं मनोकामनाएं
शारदीय नवरात्रि का आज 6वां दिन है। आज मां भगवती के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा होती है। देवी कात्यायनी ने अपने इस पुत्री स्वरूप से पिता के कुल की रक्षा का संदेश दिया है। नवरात्रि की षष्ठी माता सरस्वती को समर्पित है। रात में जागरण और जप करने से साधक को सहजता से देवी कात्यायनी की कृपा मिलती है।
काशी में संकठा घाट पर आत्माविरेश्वर महादेव मंदिर के परिसर में देवी कात्यायनी विराजमान हैं। देवी कात्यायनी का दिव्य स्वरूप लक्ष्य प्राप्ति के लिए मन को एकाग्रचित्त रखने का संदेश देता है।
देवी कात्यायनी के मंदिर के पुजारी पंडित घनश्याम दुबे ने बताया, “मां पासना का मंत्र ‘या देवि सर्वभूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:…’ है। देवी को सिद्ध करने के लिए सूर्यास्त के समय पूर्व की ओर मुंह करके ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीम चामुंडाय विच्चै…’ मंत्र का जाप करना चाहिए। देवी कात्यायनी के दर्शन-पूजन से घर-परिवार में सुख-शांति रहती है।”
पौराणिक मान्यता यह भी है कि जिस किसी युवक या युवती के विवाह में बाधाएं आ रही हैं। वह देवी कात्यायनी को हल्दी और दही का लेप लगाने के साथ ही पीला फूल, पीले रंग के कपड़े और पीले रंग का प्रसाद 41 दिन चढ़ाए तो उसकी अड़चन दूर हो जाएगी।
स्कंद पुराण के अनुसार, “महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या करके भगवान से देवी भगवती परांबा को अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा था। ईश्वर की अनुकंपा से उनके घर में बेटी के रूप में जन्म लेने के कारण ही देवी का नाम कात्यायनी पड़ा है।”