BHU में बिना लाइसेंस बनाई व बेची जा रहीं आयुर्वेदिक दवाएं, शासन तक पहुंचा मामला मगर कार्रवाई नहीं
वाराणसी | चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) बीएचयू में बिना लाइसेंसही आयुर्वेदिक दवाएं बनाई व बेची जा रही हैं। यह मामला शासन तक पहुंचा, फिर भी कुछ नहीं हुआ। ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी यही दवाएं दी जा रही हैं। बीएचयू के आयुर्वेदिक संकाय की ओपीडी में रोजाना एक हजार मरीज आते हैं। सब अलग-अलग विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाते, फिर परिसर स्थित फार्मेसी काउंटर से दवाएं लेते हैं।
इसी बीच पता चला कि बीएचयू के पास आयुर्वेदिक दवाएं बनाने और उसे बेचने का लाइसेंस ही नहीं है। जो लाइसेेंस बनवाया गया था, उसका नवीनीकरण ही नहीं कराया गया। लापरवाही का सिलसिला अब तक जारी है।
जानकारी के मुताबिक, इसी महीने की दो जनवरी को क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. भावना द्विवेदी ने आयुर्वेदिक फार्मेसी के अधीक्षक प्रो. डीएन सिंह गौतम को पत्र भेजकर लाइसेंस के बारे में जानकारी मांगी थी। तब पता चला कि बीएचयू की तरफ से नवीनीकरण के लिए कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका।
फार्मेसी संचालन की जिम्मेदारी आईएमएस निदेशक पर
बीएचयू आयुर्वेद संकाय के प्रमुख प्रो. केएन द्विवेदी ने कहा कि तीन जनवरी 2023 को अधीक्षक ने लाइसेंस नवीनीकरण से संबंधित पत्र भेजा है। जानकारी दी है कि अगस्त 2021 से फार्मेसी का नवीनीकरण नहीं हुआ है। फार्मेसी संचालन की जिम्मेदारी आईएमएस निदेशक पर होती है। उनको वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा चुका है।
31 दिसंबर 2016 को खत्म हो चुका लाइसेंस
निदेशक (आयुर्वेद सेवाएं) डॉ. पीसी सक्सेना ने कहा कि बीएचयू आयुर्वेद फार्मेसी का लाइसेंस 31 दिसंबर 2016 को खत्म हो चुका है। इसके बाद से अब तक नवीनीकरण नहीं हुआ। जीएमपी यानी गुड मैन्युफैक्चिरंग प्रोडक्ट का प्रमाण पत्र भी 31 अगस्त 2015 से पांच साल के लिए जारी किया गया था। इन दोनों मामलों से संकाय प्रमुख को अवगत कराया जा चुका है। –
लाइसेंस नवीनीकरण के लिए कई बार भेजा पत्र
फार्मेसी के लाइसेंस नवीनीकरण के लिए 2017 से 2020 तक कई बार पत्र भेजा है। प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। नियमानुसार बिना लाइसेंस नवीनीकरण के दवाएं बनाई व बेची नहीं जा सकती हैं। – प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी, पूर्व संकाय प्रमुख आयुर्वेद संकाय, बीएचयू
2021 में जो आपत्तियां लगाई गई थीं, उसका निस्तारण करते हुए औपचारिकताएं पूरी कराई जा चुकी हैं। लखनऊ निदेशक कार्यालय को रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है। जल्द ही नवीनीकरण होने की संभावना है। – डॉ. भावना द्विवेदी, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, वाराणसी