शहीद सुखदेव का रिश्तेदार हाथ जोड़ता रहा,हमलवारों को नहीं आया रहम;किया तलवारों से अटैक
नई दिल्ली। अमर शहीद सुखदेव के रिश्तेदार संदीप थापर के साथ पंजाब के लुधियाना में जानलेवा हमला हुआ है। निहंगों के वेश में एक स्कूटी से 3 लोग आए 4 लोगों ने तलवार से हमला कर संदीप थापर को बुरी तरह घायल कर दिया। इस हमले में संदीप थापर लहूलुहान होकर गिर पड़े। उन्हें लुधियाना के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
ट्रस्ट के कार्यक्रम में अस्पताल गए थे
संदीप थापर उर्फ गोरा शिवसेना टकसाली संगठन के नेता हैं। जानकारी के मुताबिक वे संवेदना ट्रस्ट के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लुधियाना के सिविल अस्पताल में गए हुए थे। जब वे बाहर निकले तो बाइक सवार ने निहंगों ने धारदार तलवारों से उन पर हमला बोल दिया और फिर बाइक पर बैठकर फरार हो गए। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और बुरी तरह संदीप थापर को अस्पताल में भर्ती करवाया।
पूरी योजना बनाकर किया गया हमला
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक थापर पर हमला पूरी तरह योजना बनाकर किया गया। तीनों निहंगों में से 2 स्कूटी पर बैठे रहे और एक नीचे उतरकर तलवार से अचानक संदीप थापर पर हमला करता है। इस हमले से वे नीचे गिर जाते हैं। इसके बाद संदीप थापर को संभलने का कोई मौका दिए बगैर वह हमलावर उन पर ताबड़तोड़ वार करता जाता है।
तलवार देखकर किसी की हिम्मत नहीं हुई
घटना के वक्त आसपास दर्जनों लोग मौजूद थे लेकिन नंगी तलवार देख किसी की हिम्मत आगे बढ़ने की नहीं होती। वे दूर से ही थापर को छोड़ देने के लिए कहते हैं लेकिन हमलावर नहीं रुकता। वह उनकी छाती, कंधे, सिर और गर्दन पर तलवार से वार करता जाता है, जिससे उनका खून बह जाता है। जब थापर लहूलुहान होकर जमीन पर गिर जाते हैं तो हमलावर स्कूटी पर बैठकर वहां से भाग जाते हैं।
इलाके में बढ़ा तनाव,पुलिस ने बनाई कई टीमें
हमलावर निहंगों के भागने के बाद आसपास मौजूद लोग संदीप थापर को पहले सिविल अस्पताल में भर्ती करवाते हैं। लेकिन वहां पर उनकी गंभीर हालत देख उन्हें डीएमसी अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। घटना के बाद से इलाके में तनाव बढ़ गया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने शहर में चौकसी बढ़ा दी है, साथ ही हमलावरों की तलाश के लिए कई टीमें गठिन की हैं।
कौन थे अमर शहीद सुखदेव?
अमर शहीद सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था। वे भारत के महान क्रांतिकारियों में एक थे। जब जलियांबाग हत्याकांड के बाद विरोध प्रदर्शन निकालने पर अंग्रेजों ने लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसा दी थीं, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह और राजगुरु के साथ अंग्रेज अधिकारी सांडर्स का वध करके इस घटना का बदला लिया था। इसके बाद वे पकड़े थे लेकिन कभी उन्होंने माफी नहीं मांगी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर ने भगत सिंह और राजगुरु के साथ हंसते- हंसते लाहौर जेल में फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे।