न राहुल,न खड़गे..ये है वो शख्स जिसने तेलंगाना में मोदी के बनाए माहौल को भुना लिया!

न राहुल,न खड़गे..ये है वो शख्स जिसने तेलंगाना में मोदी के बनाए माहौल को भुना लिया!
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तेलंगाना। तेलंगाना में कांग्रेस की जीत का ताज किसके सिर होना चाहिए? इस सवाल के जवाब पर कोई राहुल गांधी का नाम लेगा तो कोई मल्लिकार्जुन खड़गे का। हालांकि,अगर गौर से देखें तो तेलंगाना में न ‘युवा नेता’ राहुल गांधी अपना जोर दिखा सके और न ही वरिष्ठ नेता खड़गे। असल में लाइमलाइट तो कोई और ही ले गया। इनसब के बीच जो चेहरा उभर कर आया और राज्य में कांग्रेस की जीत का परचम लहराने में सफल हो पाया, वो नाम है- रेवंत रेड्डी। आइए जानते हैं कि ये रेवंत रेड्डी कौन हैं, जिनकी विधानसभा चुनाव के दौरान खूब चर्चा हुई।

अनुमुला रेवंत रेड्डी का जन्म 8 नवंबर 1969 को हुआ था। सांसद बनने के बाद उनकी मुलाकात तेलुगु देशम पार्टी के चीफ एन. चंद्रबाबू नायडू से हुई और फिर वो TDP पार्टी में शामिल हो गए। 2009 और 2014 के चुनावों में उन्होंने कोडंगल सीट पर बंपर जीत दर्ज की। इसके बाद 2017 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। फिलहाल वो तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष हैं और मलकाजगिरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

किसके सिर कांग्रेस की जीत का ताज?
बताया जाता है कि साल 2021 से ही बीजेपी ने तेलंगाना में अपनी पैठ बनाना शुरू कर दिया था। ग्राउंड पर भी बीजेपी की ताकत को बुलंद किया गया। राज्य में बीजेपी की बढ़ती लहर को देखते हुए कांग्रेस ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया। इस बीच पार्टी की कमान रेवंत रेड्डी ने अपने हाथ में ले ली और तेलंगाना में कांग्रेस को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया।

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इस दौरान अक्टूबर में चुनाव के ऐलान के बाद तक कांग्रेस के नेताओं को एक साथ लाने में रेवंत रेड्डी को काफी मेहनत करनी पड़ रही थी। तेलंगाना कांग्रेस यूनिट के कई सदस्यों के बीच मतभेदों को इसका कारण बताया जा रहा था। कई लोकल नेताओं ने तो रेड्डी पर आरोप तक लगा दिया था कि वो केवल अपने सपोर्टर्स को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, इसके बाद भी रेवंत रेड्डी नहीं रुके। ग्राउंड लेवल पर अपनी पकड़ मजबूत करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने साल 2022 से ही निर्वाचन स्थलों का दौरा शुरू कर दिया था। चुनाव नजदीक आने के बाद तो उन्होंने एक दिन में 4-4 रैलियों को संबोधित किया। जब चुनाव के नतीजे आए, तो भले ही 3 राज्यों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली, जिसका पूरा श्रेय रेवंत रेड्डी को दिया जा रहा है।

एक सच ये भी है कि तेलंगाना में भले ही कांग्रेस जीत गई, लेकिन बीजेपी की आंधी से रेवंत रेड्डी भी अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे। रेवंत को कामारेड्डी विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार वेंकट रमण रेड्डी ने हरा दिया।

क्या अब भी परिवारवाद से निकलेगी कांग्रेस?
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस परिवारवाद से निकलना नहीं चाहती। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की इसी सोच ने उसका सूपड़ा साफ कर दिया है। राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ भी बेअसर रही, क्योंकि कांग्रेस का परिवार मोह अभी तक भंग नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इस चुनाव से कांग्रेस को सबक लेने की जरूरत है।

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नतीजों के अगले ही दिन शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने भी कहा- ‘अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजों के आधार पर कहूं तो ये सत्र विपक्ष में बैठे हुए साथियों के लिए Golden Opportunity है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय इस पराजय से सीखकर पिछले 9 साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोड़कर इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा।


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