आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई को लेकर किया अलर्ट,बड़ी बात…

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नई दिल्ली। खाने-पीने के सामानों के दाम में बढ़ोतरी ने आरबीआई की चिंता बढ़ा दी है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि खाद्य वस्तुओं के अनिश्चित एवं लगातार बदल रहे दाम महंगाई दर को प्रभावित कर सकते हैं। खाद्य पदार्थों की कीमतों में अस्थिरता और अनिश्चितता के कारण महंगाई को लेकर अस्पष्ट परिदृश्य बने रहने की आशंका है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में एमपीसी की बैठक में यह बात कही। गवर्नर दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक छह से आठ दिसंबर को हुई थी। बैठक में आम सहमति से मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए प्रमुख ब्याज दर (रेपो) को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय लिया गया।

महंगाई बढ़ने की आशंका
शुक्रवार को जारी बैठक के ब्योरे के अनुसार गवर्नर ने कहा,”अस्थिर और अनिश्चित खाद्य कीमतों और नियमित अंतराल पर आने वाले मौसमी झटकों से समग्र मुद्रास्फीति परिदृश्य पर असर पड़ने का अनुमान है।” उन्होंने कहा कि सब्जियों के फिर से महंगा होने से खाद्य और हेडलाइन (कुल) मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है। दास ने कहा, ”हमें मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ने के किसी भी संकेत के प्रति अत्यधिक सतर्क रहना होगा, जो इसे नीचे लाने की प्रक्रिया को पटरी से उतार सकता है।”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे हालात में मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी होना होगा। ऐसे में नीतिगत रुख में कोई भी बदलाव समय से पहले और जोखिम भरा होगा।

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मौद्रिक नीति को रहना होगा सतर्क
डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने भी कहा कि मौद्रिक नीति को काफी सतर्क रहना होगा। उन्होंने नीति दर में यथास्थिति के पक्ष में मतदान करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति में वृद्धि की तुलना में मुद्रास्फीति को अधिक महत्व देने की जरूरत है।आरबीआई के कार्यकारी निदेशक और एमपीसी सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था पूरी गति से चल रही है और वृद्धि ने आश्चर्यजनक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस उच्च वृद्धि पथ का समर्थन करने का सबसे अच्छा तरीका मूल्य स्थिरता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखना है। एमपीसी में सरकार ने जिन तीन सदस्यों – शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा को नियुक्त किया है, उन्होंने भी रेपो दर को यथावत रखने के लिए मतदान किया था। रेपो दर अप्रैल से 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बनी हुई है।


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