श्री काशी विश्वनाथ को प्लास्टिक के पात्र में लग रहा भोग
•सोना चांदी के बर्तन होने के बावजूद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की घोर लापरवाही
•प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं है बाबा के भक्त, नियमित करते हैं दर्शन
•धार्मिक कार्य में नहीं होता है प्लास्टिक का प्रयोग, मंदिर में तैनात हैं एक से एक विद्वान
(डा.आर.के.सिंह)
वाराणसी(जनवार्ता)। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के दरबार में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ता है। बाबा विश्वनाथ को प्रत्येक समय भोग,आरती के लिए चांदी के बर्तन उपलब्ध है। इसके बावजूद बाबा दरबार में प्लास्टिक के डिब्बे में भोग लगाया जाना सवालों को खड़ा करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित तमाम भक्त बाबा श्री काशी विश्वनाथ की सुख सुविधा का ध्यान रखते हैं। दर्जनों पुजारी उनके भोग श्रृंगार व आरती पूजन के लिए रखे गए हैं।लेकिन मंदिर के अर्घे के अंदर प्लास्टिक के डिब्बे में गुलाब जामुन का भोग लगाया जा रहा है।यह अशोभनीय कृत्य है।
लोग छोटे मंदिरों या घरों में भी प्लास्टिक के पात्रों का प्रयोग नहीं करते हैं।फिर बाबा विश्वनाथ जो सबके सिरमौर हैं उनके मंदिर के अर्घे में प्लास्टिक के पात्र का प्रयोग श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की लापरवाही को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार द्वारा प्लास्टिक का प्रयोग प्रतिबंधित भी है और मंदिर में, वह भी काशी विश्वनाथ को,प्लास्टिक के डिब्बे में भोग कानून और धर्म के विरुद्ध है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म x (पहले ट्विटर) पर पोस्ट तस्वीर में प्लास्टिक के डिब्बे में गुलाब जामुन स्पष्ट देखा जा सकता है। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ है। अभी हाल के दिनों में 13 जून को अपलोड पोस्ट लिंक जो निम्न है
में ऐसा देखा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त 12 जून के पोस्ट में भी प्लास्टिक के डिब्बे में गुलाब जामुन मिठाई का भोग लगा देखा जा सकता है।
इस आशय का पोस्ट सोशल मीडिया पोस्ट x,facebook,instagram और YouTube पर देखा जा सकता है।
जिसका x लिंक यहां क्लिक कर देखा जा सकता है:
तमाम भक्त इस पर सवाल उठा रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर और मंदिर के विस्तार पर करोड़ों रुपए का खर्च हुआ है, जिसके परिणाम स्वरूप लाखों भक्त प्रतिदिन बाबा का दर्शन करने आते हैं। बाबा के लिए लाखों रुपए के बर्तन आरती के समान और श्रृंगार की व्यवस्था है। मंदिर के लिए एक से एक कर्मकांड के विद्वान समर्पित रहते हैं। उनकी देखरेख में ही समस्त आध्यात्मिक कार्य संपन्न कराए जाते हैं। ऐसे में प्लास्टिक के पात्र का उपयोग उचित नहीं है।यह हमारी आस्था को मुंह चिढ़ा रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि फोटो श्रृंगार के समय का है।
मंदिर के जिम्मेदार अधिकारियों को इसका ध्यान रखना चाहिए और इसके लिए जो भी दोषी हो कार्रवाई होनी चाहिए।