यूपी में BJP को टक्कर दे पाएगी विपक्षी दलों की एकजुटता? ये आंकड़े कर देंगे हैरान
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में अब एक साल से भी कम समय बचा है। ऐसे में देश का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों की एक साथ लाने की कवायद तेज है,तो वहीं बीजेपी का पूरा फोकस यूपी पर है क्योंकि दिल्ली का रास्ता भी यहीं से होकर गुजरता है। यूपी में बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में भी है ऐसे में पार्टी ने प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य तय किया है और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का दावा है कि उनका पीडीए फॉर्मूला बीजेपी के जीत के रथ पर ब्रेक लगा देगा। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर आज लोकसभा चुनाव होते हैं तो क्या विपक्षी दलों का गठबंधन बीजेपी पर भारी होगा या फिर बीजेपी के आगे विपक्ष को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ेगा। ये जानने के लिए हमें 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव का विश्लेषण करना जरूरी है।
2014 लोकसभा चुनाव का आंकड़ा
साल 2014 में यूपी की 80 सीटों में से 71 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी और 43 प्रतिशत वोटों के साथ बीजेपी यूपी की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी,वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़कर 50 फीसद तक हो गया लेकिन सीटें घट गईं और बीजेपी की 62 सीटें रह गईं। इसकी एक बड़ी वजह सपा-बसपा का गठबंधन भी था,जिसकी वजह से कई सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।
2014 लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 71 सीटें मिलीं तो वहीं उसकी सहयोगी अपना दल के खाते में दो सीटें आईं,समाजवादी पार्टी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की तो कांग्रेस ने 2 सीटों अमेठी और रायबरेली में ही जीत हासिल की। इस चुनाव में बसपा और आरएलडी का खाता तक नहीं खुला।
2019 में वोट प्रतिशत बढ़ा लेकिन सीटें घटी
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो इन चुनावों में बीजेपी को 50 फीसद वोट मिला, लेकिन पार्टी की सीटें घटकर 62 रह गईं। अपना दल को फिर दो सीटों पर जीत हासिल हुई,सपा ने भी पांच सीटें जीती। इस चुनाव में बसपा को बड़ा फायदा हुआ और 10 सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि 2014 के मुकाबले बसपा को वोट प्रतिशत एक प्रतिशत घटकर 19 फीसद रह गया। वहीं अमेठी में राहुल गांधी हार गए और कांग्रेस सिर्फ एक सीट रायबरेली में ही जीत हासिल कर सकी।
आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2014 के मुकाबले 2019 में सिर्फ बीजेपी के ही वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है, बीजेपी ने अकेले 50 फीसद वोट हासिल किया जबकि सपा,बसपा, कांग्रेस इन तीनों दलों का वोट प्रतिशत एक से दो फीसद तक कम हुआ है। 2019 में भी जब सपा और बसपा साथ आए तो महज 15 सीटों पर ही जीत हासिल हो सकी थी। दोनों दलों का वोट प्रतिशत मिलाकर 37 फीसद था, जो बीजेपी से काफी कम था। इस बार तो बसपा ने भी अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है। ऐसे में तमाम विपक्षी दल एकजुट भी हो जाए तो भी बीजेपी का मुकाबला करना मुश्किल है।
इधर बीजेपी ने अपने तमाम नेताओं को पहले से ही जमीन पर उतार दिया है। बीजेपी की कोशिश है कि प्रदेश में जनाधार को और मजबूत किया जाए। 50 फीसद वोट बीजेपी के साथ है,इसके अलावा पसमांदा मुसलमानों को भी जोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं। ऐसे में विपक्ष के लिए चुनौती कम नहीं है।