चीन से सटी एलएसी पर मजबूत होगा भारत का तोपखाना, तैयार किया खाका
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भले ही भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट हो गया हो लेकिन अभी विवाद खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में भारतीय सेना ने एलएसी पर अपनी आर्टिलरी यानि तोपखाने की क्षमताओं को बढ़ाने का प्लान तैयार किया है। को मिली खास जानकारी के मुताबिक इस प्लान में कई काम किए जाने हैं।
- एलएसी पर तैनात करने के लिए 100 अतिरिक्त ‘के-9 वज्र’ तोप खरीदी जाएंगी। रक्षा मंत्रालय से इन तोपों को खरीदने की मंजूरी मिल गई है।
- पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की छह (06) रेजीमेंट एलएसी पर तैनात की जाएंगी। एक को पहले ही अरूणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर तैनात कर दिया गया है।
- स्वदेशी तोप धनुष की पहली रेजीमेंट को पूर्वी लद्दाख में तैनात कर दिया गया है। आने वाले समय धनुष की और रेजीमेंट यहां तैनात की जाएंगी।
- स्वदेशी ‘स्वाथी’ वैपन लोकेटिंग रडार को भी किया गया एलएसी पर तैनात
के-9 वज्र तोप
के-9 दक्षिण कोरिया की तोप है जिसे भारत में एलएंडटी कंपनी बनाती है। वर्ष 2017 में भारत ने दक्षिण कोरिया से 100 तोपों का करार किया था। इनमें से 10 सीधे कोरिया से खरीदी गई थी और बाकी 90 एलएंडटी के गुजरात स्थित हजीरा प्लांट में बनाई गई थी। ये सभी 100 तोपें भारतीय सेना को अब मिल चुकी है। खास बात ये है कि उस वक्त सेना ने ये दक्षिण कोरियाई होवित्जर (गन्स) को रेगिस्तान वाले इलाकों में तैनात करने के लिए लिया था यानि पाकिस्तान से सटे बॉर्डर के लिए।
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी में चीन से हुई विवाद के कारण के-9 वज्र तोपों की एक पूरी रेजीमेंट (18 तोपों) को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया। इसके लिए सेना ने इन तोपों में खास विंटराइजेशन (विंटर) किट लगाई क्योंकि ऐसा नहीं करते तो हाई ऑल्टिट्यूड क्षेत्र होनें के कारण इन तोपों की बैटरी फ्रीज यानि बेहद ठंड के कारण जम सकती थी। यही वजह है कि जो 100 नई तोपें भारत एलएंडटी से अब खरीदेगा उन सभी में विंटराइजेशन किट लगी होगी क्योंकि ये सभी चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर तैनात की जाएंगी।
पिनाका रॉकेट
भारतीय सेना स्वदेशी पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम की छह अतिरिक्त रेजीमेंट लेने की तैयारी कर रही है जिसके लिए करार हो गया है। एक्सटेंडेड रेंज यानि अतिरिक्त रेंज वाली इन नई पिनाका सिस्टम को भी चीन से सटी सीमा पर तैनात किया जाएगा। पिनाका की एक रेजीमेंट को पहले ही अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर तैनात कर दिया गया है। नई पिनाका रेजीमेंट में गाईडेड रॉकेट्स इस्तेमाल किए जाएंगे. एक तरह से डीआरडीओ ने पिनाका को मिसाइल सिस्टम में तब्दील कर दिया है।
धनुष तोप
स्वदेशी धनुष तोप की पहली रेजीमेंट को भी भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात किया है। धनुष गन को ओएफबी ने तैयार किया है और ये बोफोर्स गन का अपग्रेडेड (उन्नत) वर्जन माना जाता है।
एम-777
चीन सीमा पर तैनात करने के लिए खास तौर से अमेरिका से ली गई अल्ट्रा लाइट होवित्जर (यूएलएच), एम-777 यानि हल्के तोपों की छह रेजीमेंट अब तक ओपेरशन्लाइज हो चुकी हैं और सातवी रेजीमेंट के ट्रायल चल रहे हैं। भारत ने अमेरिका से 145 एम-777 होवित्जर खरीदी हैं।
स्वाथी रडार
डीआरडीओ और बीईएल ने इस वैपन लोकेटिंग रडार, स्वाथी को तैयार किया है। ये दुश्मन की सीमा में कहां से तोप या फिर दूसरे गन गोला दाग रही हैं उसकी ठीक-ठीक लोकेशन बता देती है। ऐसे में अपनी तोप से उसी लोकेशन पर गोला दागा जाता है जहां दुश्मन की तोप तैनात रहती हैं। दरअसल, पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर मई 2020 के बाद वाले विवादित इलाकों में तो डिसइंगेजमेंट हो गया है लेकिन डेप्सांग प्लेन और डेमचोक को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
डिस्कलेशन के लिए नहीं तैयार है चीन
इसके अलावा अभी भी पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्युचल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के 60 हजार सैनिकों के साथ साथ पीएलए के टैंक, तोप और मिसाइलों का एक बड़ा जखीरा तैनात हैं। चीन अभी भी एलएसी पर डि-एस्कलेशन और डि-इंडक्शन के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में भारतीय सेना भी एलएसी पर अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में जुट गई है। एलएसी पर सेना की आर्टिलरी की क्षमताओं को विकसित करने के प्लान को देश के रक्षा तंत्र के सूत्रों ने साझा किया है।
एससीओ मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक ना होने से साफ है कि एलएसी पर चलने वाला ये विवाद लंबा खिच सकता है। साथ ही पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर मई 2020 के बाद वाले विवादित इलाकों में तो डिसइंगेजमेंट हो गया है लेकिन डेप्सांग प्लेन और डेमचोक को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
एलएसी पर अपनी क्षमताएं बढाएगी सेना?
इसके अलावा अभी भी पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्युचल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के 60 हजार सैनिकों के साथ साथ पीएलए के टैंक, तोप और मिसाइलों का एक बड़ा जखीरा तैनात हैं। चीन अभी भी एलएसी पर डि-एस्कलेशन और डि-इंडक्शन के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में भारतीय सेना भी एलएसी पर अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में जुट गई है।
एलएसी पर सेना की आर्टिलरी की क्षमताओं को विकसित करने के प्लान को देश के रक्षा तंत्र के सूत्रों ने साझा किया है। यही वजह है कि भारतीय सेना ने चीन से सटी एलएसी पर कमर कसने का खाका तैयार कर लिया है।